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पन्ने पलट के लावारिश छोड देते हैं मुझे मानो सुबह क

पन्ने पलट के लावारिश छोड देते हैं मुझे
मानो सुबह का अखबार हो गया हु मैं ।।

देखा अनदेखा सा तमाशों  के बीच 
बस एक इश्तिहार भर रह गया हु मैं ।।

जमीन प्यासी रहे आसमां भी ना हो हल्का
बारिश की एक ऐसी बौछार हो गया हुँ मैं।।

बेख्याली से फेके कुछ सिक्के सीने पर सड़क के उस ओर हो वो मजार हो गया हुँ मैं ।।

छुपाय फिरता था उसके दामन मे गैरत 
देखीये ना आज सरे बाजार हो गया हुँ मैं ।।

#मौहम्मद अनीश #Chand_tuta_tara_pighla  Rohit kumar kasyap taqi kazmi MD Mannan anssri official singar,.  Akram Tyagi
पन्ने पलट के लावारिश छोड देते हैं मुझे
मानो सुबह का अखबार हो गया हु मैं ।।

देखा अनदेखा सा तमाशों  के बीच 
बस एक इश्तिहार भर रह गया हु मैं ।।

जमीन प्यासी रहे आसमां भी ना हो हल्का
बारिश की एक ऐसी बौछार हो गया हुँ मैं।।

बेख्याली से फेके कुछ सिक्के सीने पर सड़क के उस ओर हो वो मजार हो गया हुँ मैं ।।

छुपाय फिरता था उसके दामन मे गैरत 
देखीये ना आज सरे बाजार हो गया हुँ मैं ।।

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