"किश्त" कुछ किश्ते भरी हैं मैंने, अभी थोड़ी बहोत बाकी हैं! दर्दे महोब्बत में अभी भी, बिछड़ने की किश्त बाकी हैं! जमा हैं युं तो कई गम ये मेरे, पर किश्त-ए-खुशहाली अभी बाकी हैं! महज़ रह जायेंगी यादें सिर्फ उनकी, दर्दे महोब्बत में अभी भी, कुछ अधूरे ख्वाब अभी भी बाकी हैं! ले डूबेंगे उनकी यादें अब हमतो, समंदर की उन गहराइयो में! ये नामुकम्मल इश्क़ की बस अब, किश्त-ए-तन्हाई अभी बाकी हैं! - जय त्रिवेदी ('रुद्र') #किश्त