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यूँ ही नहीं भड़क रहा है वो कोई बात पे तड़प रहा है

यूँ ही नहीं भड़क रहा है वो
कोई बात पे तड़प रहा है वो
कुछ दर्द ऐसी होगी जो कभी बता नहीं सकता 
कोई चोट तो ज़रूर होगी जो किसी को दिखा नहीं सकता 
बस अब अपनी तकदीर पे आँहें भर रहा है 
उस साए में रहकर इस अकेलेपन को तराश रहा है      About empathy
यूँ ही नहीं भड़क रहा है वो
कोई बात पे तड़प रहा है वो
कुछ दर्द ऐसी होगी जो कभी बता नहीं सकता 
कोई चोट तो ज़रूर होगी जो किसी को दिखा नहीं सकता 
बस अब अपनी तकदीर पे आँहें भर रहा है 
उस साए में रहकर इस अकेलेपन को तराश रहा है      About empathy