Expression Depression जिधर भी देखूं रात का फैला हुआ साया देखूं कहां जाऊं किधर ठहरूं जिधर भी ठहरू सिर्फ तन्हाई का मंजर देखूं कितनी रातो से जाग रहा हूं मैं कैसे बताए किसी को अब अगर गलती से भी आंख लग जाए तो बहुत मुश्किल है कि सबेरा देखूं मेरे कश्ती के पतवार तुम मेरे को कश्ती को सलामत रखना मै जब भी साहिल पर पहुंच जाऊं तो कश्ती को हिलता - डुलता देखूं जब भी कभी शाम हो जाए तो फिर कोई दर्द जाग उठे जब कभी सुबह हो जाए तो हर आने - जाने वालो का चेहरा देखूं अब क्या बताए जनाब ये ऎसी घड़ी है जहां सिर्फ तन्हाई ही तन्हाई है कभी ये तमन्ना हुआ करती थी कि खुद को भी तन्हा देखूं, मगर ये ऎसी घड़ी है कि जिसे भी देखूं सिर्फ तन्हा देखूं सोचता हूं कि अब रंग धूल जाए सब जिंदगी में फैली हुई गुबार - ए- गम के अब जब भी कोई मंजर देखूं तो खुशनुमा देखूं तन्हाई का ये मंजर #expression #तन्हाई_का_आलम #रुसवाई Ms.(P.✍️Gurjar)