एक को रुला कर दूसरे को हसां लिया करती हूँ.. मैं अपने ही अंदर दो इंसान लिए फिरती हूँ.. कभी शहद की मिठास छोड़ जहर आंसुओं का पीती हूँ... जिंदगी का कत्ल कर दुआ मौत की करती हूँ... कहीं तो होगी मेरी मौजूदगी जहाँ सिर्फ मैं रहती हूँ... शायद इसलिए ये कागज के पन्ने मेरे दोस्त है जो किसी से नहीं कह पाती वो इनसे कहा करती हूँ... by ruvisha #hate life