मोहब्बत के कई.... फ़साने मुज़्मर हैं उसकी आँखों में वो मुझसे मुख़ातिब होती है तो पलकें नहीं उठाती। सूरज की तपिश सूरज की तपिश को वो ख़ुद ओढ़ लेती है मैं सो जाऊं गर उसके शानों पर वो मेरे चेहरे से काली घनी ज़ुल्फ़ें नहीं उठाती ~Hilal . ©~Hilal. Follow Me for best shayri of your life #Muzmar #Zulfein #Palke #Fasane