रूठ गये हम, ये किसको बतायेगें मान गये हम, गले कौन लगायेंगे दर्पण, आईना, शीशा, सब चटका भटके हुए मन को कौन समझायेगे... शेष... फिर.. सीरत ©Sheela Gahlawat seerat रूठ गये हम, ये किसको बतायेगें मान गये हम, गले कौन लगायेंगे दर्पण, आईना, शीशा, सब चटका भटके हुए मन को कौन समझायेगे... शेष... फिर.. सीरत