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जाने कितनी रोज़ दीवारों से टकरा कर दम तोड़ देती है

जाने कितनी रोज़ दीवारों से टकरा कर दम तोड़ देती है
और जाने कितनी 'चीखें' चीख-चीख कर मौन हो जाती है
रूह कांप जाती है ये सोचकर मेरी
जाने कितने लाज भरे आंचल जवानी में उजाड़ दिये जाते हैं
और रोज जाने कितनी बच्चियां बचपन में जवान हो जाती है !

मुझे लगता है भगवान तो उस हादसे के वक्त ही मर जाता होगा
लेकिन जब इक लड़की निकलती है दहलीज़ से बाहर
अपने हाथों में अपनी बिखरी आबरू के टुकड़े लेकर
आदमी जिंदा तो रहता है मगर उसी क्षण आदमियत की भी मौत हो जाती है— % & एक दिन भी नहीं जाता जब ये नहीं पढ़ता कि फिर एक लाज का आंचल आज इक शैतान के द्वारा लूट लिया गया । यह क्षण और भी वीभत्स तब हो जाता है जब यह पता चलता है कि 2-2, 4-4  साल की मासूम बच्चियां जिन्होंने पूर्णतः इस दुनियां में कदम भी नहीं रखा, जिन्होंने ये भेद भी नहीं जाना कि लड़का और लड़की शब्द का अर्थ भी क्या होता है, उनको यह अमानवीय कृत सहना पड़ा तो मेरी रूह कांप जाती है, खून का वेग चरम पर होता है । सोचता हूं जब पढ़कर मैं हिल गया तो उस मासूम का क्या हुआ होगा जिसने यह सहन किया । सोचता हूं जब सब धर्मों और मान्यताओं में ये माना गया है कि कण-कण में ईश्वर है तो फिर जब ऐसा वीभत्स कृत होता है तब कहां चले जाते हैं भगवान ! जो बच्ची जिसने अभी तक कुछ भी सही-गलत नहीं किया उसको किस बात की सजा ?
मैं भी मानता हूं और महसूस भी करता हूं कि वो परम सत्ता , ऊर्जा है , हर जगह है मगर वो काम कैसे करता है ये जानने की जिज्ञासा है ! बस इतना चाहता हूं मेरे मौला अगर आपकी ही कृति है हम तो इक लड़की की आबरू का तुझसे बड़ा रखवाला कोई नहीं , कुछ और करो न करो मगर इस अमानवीय कृत से हर लड़की की रक्षा करो , बस यही प्रार्थना है आपसे । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

#yqdidi 
#yqbaba 
#savechildrape 
#norape 
#surajaaftabi
जाने कितनी रोज़ दीवारों से टकरा कर दम तोड़ देती है
और जाने कितनी 'चीखें' चीख-चीख कर मौन हो जाती है
रूह कांप जाती है ये सोचकर मेरी
जाने कितने लाज भरे आंचल जवानी में उजाड़ दिये जाते हैं
और रोज जाने कितनी बच्चियां बचपन में जवान हो जाती है !

मुझे लगता है भगवान तो उस हादसे के वक्त ही मर जाता होगा
लेकिन जब इक लड़की निकलती है दहलीज़ से बाहर
अपने हाथों में अपनी बिखरी आबरू के टुकड़े लेकर
आदमी जिंदा तो रहता है मगर उसी क्षण आदमियत की भी मौत हो जाती है— % & एक दिन भी नहीं जाता जब ये नहीं पढ़ता कि फिर एक लाज का आंचल आज इक शैतान के द्वारा लूट लिया गया । यह क्षण और भी वीभत्स तब हो जाता है जब यह पता चलता है कि 2-2, 4-4  साल की मासूम बच्चियां जिन्होंने पूर्णतः इस दुनियां में कदम भी नहीं रखा, जिन्होंने ये भेद भी नहीं जाना कि लड़का और लड़की शब्द का अर्थ भी क्या होता है, उनको यह अमानवीय कृत सहना पड़ा तो मेरी रूह कांप जाती है, खून का वेग चरम पर होता है । सोचता हूं जब पढ़कर मैं हिल गया तो उस मासूम का क्या हुआ होगा जिसने यह सहन किया । सोचता हूं जब सब धर्मों और मान्यताओं में ये माना गया है कि कण-कण में ईश्वर है तो फिर जब ऐसा वीभत्स कृत होता है तब कहां चले जाते हैं भगवान ! जो बच्ची जिसने अभी तक कुछ भी सही-गलत नहीं किया उसको किस बात की सजा ?
मैं भी मानता हूं और महसूस भी करता हूं कि वो परम सत्ता , ऊर्जा है , हर जगह है मगर वो काम कैसे करता है ये जानने की जिज्ञासा है ! बस इतना चाहता हूं मेरे मौला अगर आपकी ही कृति है हम तो इक लड़की की आबरू का तुझसे बड़ा रखवाला कोई नहीं , कुछ और करो न करो मगर इस अमानवीय कृत से हर लड़की की रक्षा करो , बस यही प्रार्थना है आपसे । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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