ये बोझ नहीं मेहनत हमारी है पत्थर बदन है , नहीं कोई सुकुमारी है कंधों पर लिए चलता हूँ कभी सीधे क़दम तो कभी लड़खड़ाता हूँ कोई शिकवा नहीं शिकायत नहीं कभी रो लेता हूँ कभी हँस देता हूँ ज़िन्दगी इसी तरह तुझे जी लेता हूँ #कंधे पर बोझ