सूरज की खूबसूरत किरणों का आगमन युँ हो रहा है मैं तो कमरे मे कैद हूँ कुछ दिनों से बेशक शहर मे ग्रीष्म का आगमन हो रहा है इंसान अपनी गलतियों की सजा आज काट रहा है क्यों भूल जाता है,की प्रकृति का सदा साथ रहा है सुंदर ठंडी हवाओं के साथ सूरज की ये किरणें, कुछ इशारे कर रही है ये बता रही है सबको की साथ है ये हमारी जैसे माँ अपने पुत्र के साथ रही है गुजारिश है मेरी सभी मनुष्यों से जो आज जी रहा है क़ीमत समझो प्रकृति की, क्या पता कल क्या हो रहा है summer returned