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मेरी कुछ यूं आ खड़ी है, दो रास्ते जाते मेरी मंजिल

मेरी कुछ यूं आ खड़ी है,
दो रास्ते जाते मेरी मंजिल की ओर है;
मगर समझ नहीं आ रहा
आखिर मेरे जाने के लिए रास्ता सही कौन है। 🌝प्रतियोगिता-127🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"दोराहे पर ज़िन्दगी"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
मेरी कुछ यूं आ खड़ी है,
दो रास्ते जाते मेरी मंजिल की ओर है;
मगर समझ नहीं आ रहा
आखिर मेरे जाने के लिए रास्ता सही कौन है। 🌝प्रतियोगिता-127🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"दोराहे पर ज़िन्दगी"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
shikhakala1063

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