भर के पिचकारी में रंग मोहब्बत के इश्क में गुलाल हो लें, खूब हल्ला-गुल्ला मौज मस्ती तू दोस्ती संग बहाल हो लें, भूल सारे भेद- भाव प्रिय उस मुसव्विर का तसव्वर हो लें, मुस्तकबिल कर हर पल , तहरीक की रवानी के संग हो लें, रंगों की पाक़ीज़गी को समझ दिलो पे फतेह हो लें , फाल्गुन में, ठंडाई में शक्कर मिला के प्यार के संग हो लें, चला प्रीत की रीत ,बजा के मुरली प्यार की राधा सी प्रीत हो लें, आया पर्व होली का, दोस्तों के संग मस्ती माहौल हो लें, इकराम से नवाजेंगे तुम्हें खुदा के बंदे आक़िल हों लें। रंगों से वफा निभा के पाक़ीज़ा मोहब्बत का सबूत हो लें, कृष्ण रास रचाए रंगीले पर्व पे तू रंगों सा मशहूर हो लें नटखट कृष्ण की छेड़छाड़ कर तू भी मदमस्त हो लें, गोपियां दीवानी मुरलीधर की, पशु-पक्षी भी दीवाने के हो लें। रूह से भिगो दे चुनरिया सुर्ख लाल रंग से प्यार से तू रूबरू हो ले। ♥️ Challenge-521 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।