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न जाने ज़िन्दगी के किस पल में ढली थी मैं अभी तो सफ़

न जाने ज़िन्दगी के किस पल में ढली थी मैं
अभी तो  सफ़र में, एक पग  ही चली थी मैं

कितना कुछ दिखा दिया, हमको ज़िन्दगी ने
अभी तो कुछ वर्षों, से ही फकत पली थी मैं

आगे जाने की सीढियाँ,जैसे ओझल हो गयी
अभी ज़िन्दगी की, कुछ  सीढियाँ चढ़ी थी मैं

आज फिर से एक अरसे पर,दोहराया वो पल 
जिस पल से  एक अरसा  पहले, लड़ी थी मैं

हाँ फिर उसी तरह ज़िन्दगी में,आज गिर गयी
जैसे  पहले  एक दफा और, गिर चुकी थी मैं

संभलने की  कोशिशें, अब नाकाम लगती है
चूंकि बड़ी मुश्किलों  से पहले, संभली थी मैं

बहुत सी उलझनों में,आज उलझी है तू 'आयु'
उलझना ही था,जो सीमातीत मनचली थी मैं लिखती हू लेखनी में तुझे हमेशा, सोचा अब अपना किरदार लिखूं..
खूबियां शायद नहीं मुझमें, तो सोचा अपनी कमियों का भण्डार लिखूं..

_____________☹️_____________

Thanks for poke dear
Mayank Shukla bhaiya
Ujwala Shukla diduu
न जाने ज़िन्दगी के किस पल में ढली थी मैं
अभी तो  सफ़र में, एक पग  ही चली थी मैं

कितना कुछ दिखा दिया, हमको ज़िन्दगी ने
अभी तो कुछ वर्षों, से ही फकत पली थी मैं

आगे जाने की सीढियाँ,जैसे ओझल हो गयी
अभी ज़िन्दगी की, कुछ  सीढियाँ चढ़ी थी मैं

आज फिर से एक अरसे पर,दोहराया वो पल 
जिस पल से  एक अरसा  पहले, लड़ी थी मैं

हाँ फिर उसी तरह ज़िन्दगी में,आज गिर गयी
जैसे  पहले  एक दफा और, गिर चुकी थी मैं

संभलने की  कोशिशें, अब नाकाम लगती है
चूंकि बड़ी मुश्किलों  से पहले, संभली थी मैं

बहुत सी उलझनों में,आज उलझी है तू 'आयु'
उलझना ही था,जो सीमातीत मनचली थी मैं लिखती हू लेखनी में तुझे हमेशा, सोचा अब अपना किरदार लिखूं..
खूबियां शायद नहीं मुझमें, तो सोचा अपनी कमियों का भण्डार लिखूं..

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Thanks for poke dear
Mayank Shukla bhaiya
Ujwala Shukla diduu

लिखती हू लेखनी में तुझे हमेशा, सोचा अब अपना किरदार लिखूं.. खूबियां शायद नहीं मुझमें, तो सोचा अपनी कमियों का भण्डार लिखूं.. _____________☹️_____________ Thanks for poke dear Mayank Shukla bhaiya Ujwala Shukla diduu #Humour #sadness #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ज़िन्दगीकीकिताब #बेवजहसीजिंदगी