.अधूरे सुर सजाने को साज बनाता हूँ नौसिखिये परिंदों को बाज बनाता हूँ चुपचाप सुनता हूँ शिकायतें सबकी तब दुनिया बदलने की आवाज बनाता हूँ समंदर तो परखता है हौंसले कश्तियों के और मैं डूबती कश्तियों को जहाज बनाता हूँ बनाए चाहे चांद पे कोई बुर्ज ए खलीफा अरे मैं तो कच्ची ईंटों से ही ताज बनाता हूँ ढूँढों मेरा मजहब जाके इन किताबों में मै तो उन्हीं से आरती नमाज बनाता हूँ न मुझसे सीखने आना कभी जंतर जुगाड़ के अरे मैं तो मेहनत लगन के रिवाज बनाता हूं नजुमी - ज्योतिषी छोड़ दो तारों को तकना तुम कि है जो आने वाला कल उसे मैं आज बनाता हूँ - मिलिन्द Happy Teachers Day #शिक्षकदिवस#teacher#teachersday#shiskhak#शिक्षक