आजा रे आजा रे ओ बदरा प्यारे ।।१।। तीतर बटेर,कोयल, पपीहा मोर पुकारे।।२।। तेरे दरस को, तरस रहे हैं सारे।।३।। सूरज की अग्नि में, झुलस रहे हैं सारे।।४।। ताल तैलया,नदियाँ, पोखर,सूख गए हैं सारे।।५।। बिन पानी कैसे जिएं जीव, तू ही आकर प्राण बचा रे।।६।। हृदय इतना कठोर न कर, रिमझिम बरखा बरसा रे।।७।। लहलहा उठेगी धरती,भर दे तू ताल तैलया और नदिया रे।।८।। आजा रे आजा रे ओ बदरा प्यारे ।।१।। तीतर बटेर,कोयल, पपीहा मोर पुकारे।।२।। तेरे दरस को, तरस रहे हैं सारे।।३।। सूरज की अग्नि में, झुलस रहे हैं सारे।।४।।