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घड़ी बनाने वाले कारीगर से मिलना चाहता हूँ, वक़्त को

घड़ी बनाने वाले कारीगर से मिलना चाहता हूँ,
वक़्त को रुकवाकर इस पल को जीना चाहता हूँ,
बता दो कुछ यार बिछड़े थे वो मिले है 
मुझे,
जिम्मेदारी को छोड़,बचपन जीना चाहता
 हूँ।।
वक्त का तकाजा देकर कही चले न जाये 
ये ,
वक़्त रुकवाकर  इन्हें अवेरना 
चाहता हूँ,।।


shubham Suman Zaniyan Anshu hindhi shayari and poems  samridhi_kapoor MONIKA SINGH Accidental Shayar
घड़ी बनाने वाले कारीगर से मिलना चाहता हूँ,
वक़्त को रुकवाकर इस पल को जीना चाहता हूँ,
बता दो कुछ यार बिछड़े थे वो मिले है 
मुझे,
जिम्मेदारी को छोड़,बचपन जीना चाहता
 हूँ।।
वक्त का तकाजा देकर कही चले न जाये 
ये ,
वक़्त रुकवाकर  इन्हें अवेरना 
चाहता हूँ,।।


shubham Suman Zaniyan Anshu hindhi shayari and poems  samridhi_kapoor MONIKA SINGH Accidental Shayar