काम काज ठप है कब से मगर इस पापी पेट को कौन समझाए.. खाने के लाले पड़े हैं.. खिलौने भी कहाँ बेचने जायें.. दिन भर की कमाई से जैसे तैसे गुजारा होता था.. इस बड़ी विपदा में सारा काम चौपट हो गया.. है नेक कोशिश सरकार की मगर गरीब बेचारा क्या करे? कोरोना के खतरे से बचे तो भूख उसे घरों में ही मार दे.. # विपदा 🤐