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ए इंसान अब तोह होश में आजा तू बहुत खा लिया बाहर तू

ए इंसान अब तोह होश में आजा तू
बहुत खा लिया बाहर तूने अब तोह मा के हाथ की रोटी खा जा तू 
तेरी यादों को अब तक संजोये बैठी है
तेरे आने के इंतज़ार में आंखें भिगोये बैठी है
उसकी झुर्रिया उसके लम्बे इंतेज़ार को बयाँ कर रही थी
और वो बडे आस से ना बोलने वाली मूर्त के आगे उसके लिए दुआ कर रही थी
याद में उसकी दोनों आँखों के सूरज ढल रहे थे।
दीवाली के दिये में  घी की जगह उनके आसूँ जल रहे थे 
 
रवि लाम्बा

©Dr Ravi Lamba #jaunelia #tehzeebhafipoetry  #hindi_shayari  #ghazal  #Ghalib  #hindighazal #Song  
#stay_home_stay_safe
ए इंसान अब तोह होश में आजा तू
बहुत खा लिया बाहर तूने अब तोह मा के हाथ की रोटी खा जा तू 
तेरी यादों को अब तक संजोये बैठी है
तेरे आने के इंतज़ार में आंखें भिगोये बैठी है
उसकी झुर्रिया उसके लम्बे इंतेज़ार को बयाँ कर रही थी
और वो बडे आस से ना बोलने वाली मूर्त के आगे उसके लिए दुआ कर रही थी
याद में उसकी दोनों आँखों के सूरज ढल रहे थे।
दीवाली के दिये में  घी की जगह उनके आसूँ जल रहे थे 
 
रवि लाम्बा

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