हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, जो तुझे मैंने याद करके लिखी थी, मंज़िल भी तब तुम थे, अल्फाज़ भी तुम जो मैंने फ़रियाद करके लिखी थी॥ #NojotoPoet #NojotoHindi #विचार