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दिल भी कभी-कभी बड़ा खुद्दार सा हो जाता है,, और हरद

दिल भी कभी-कभी बड़ा खुद्दार सा हो जाता है,,
और हरदम उस जान -ए- हुस्न को गलत ठहराता है,,

फिर जहन से एक जवाब आता है की गलत तो तू भी रहा होगा कहीं तभी तो तू इस कदर बिलबिलाता हैं।।
तभी तो तु इस कदर बिलबिलाता हैं।। #कहीं#तो
दिल भी कभी-कभी बड़ा खुद्दार सा हो जाता है,,
और हरदम उस जान -ए- हुस्न को गलत ठहराता है,,

फिर जहन से एक जवाब आता है की गलत तो तू भी रहा होगा कहीं तभी तो तू इस कदर बिलबिलाता हैं।।
तभी तो तु इस कदर बिलबिलाता हैं।। #कहीं#तो