तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम अनंत है,पवित्र हैं अनिश्चित काल से हैं,अनिश्चित काल तक के लिए हैं किसी एक अपेक्षा से तुम्हारे व्यवहार से तुम्हारे रूष्ट होने से,तुम्हारे निकट या दूर होने से मेरे प्रेम के प्रारूप में कोई परिवर्तन संभव नहीं मैने,निश्चल,पवित्र भाव से तुम से प्रेम किया हैं, मेरा प्रेम मेरे लिए मेरी साधना जैसा पवित्र है तुम्हारी स्वीकृति, अस्वीकृति पर निर्भर नहीं मेरी भावनाएं मेरा प्रेम अपनी मर्यादा जानता है,मेरे आशुतोष मेरा प्रेम समझते हैं नीलकंठ से सदैव तुम्हारे हित में प्रार्थनाएं बनी रहेंगी, अशेष शुभकामनाएं तुम्हारे हेतु सदैव हृदय से प्रतिस्फूतित् होती रहेंगी मेरा स्वावलंबी होना मुझे दासत्व तो नहीं स्वीकारने देगा यद्यपि तुम्हारे प्रति सहज समर्पण और निष्ठा मेरे प्रेम की परिकल्पना की ईश्वरीय प्रमाण देंगे तुम्हे तुम्हारे हृदय में मेरे प्रति कदाचित कोई भाव नहीं,मै संभवतः तुम्हारे स्तर से अति लघु मनुष्यों की श्रेणी में आती होंगी शायद मैं किसी भी रूप में तुम्हारे कष्ट का कारण नहीं बन ना चाहती यदि तुम्हारी प्रसन्नता मुझ से विरक्त हैं,तो आशुतोष से करबद्ध प्रार्थना हैं, मै तुम्हारी दृष्टि से मीलों दूर कर दी जाऊ मेरे हृदय से तुम्हे निकाल पाना तो असंभव मानवीय स्त्रीत्व की मर्यादाओं से बंधी मै अपने कर्तव्यों हेतु आहुति में समर्पित हो भी जाऊ,मेरा प्रेम मेरी आत्मा में निवास करता है, वो तुम्हारी रक्षा हेतु सदैव प्रार्थना ही करेगा मुझे लालसा अवश्य थी,हम साथ रहे,मुझे तुम से प्रेम मिले,सहज भाव से तुम मेरी ओर बढ़ सको, कदाचित इस जन्म में ये संभव नहीं,कदाचित मैं तुम्हारे योग्य नहीं या फ़िर संभव है तुम्हारे हृदय में किसी और का पूर्वनिर्धारित स्थान हैं तो मैं किसी दुविधा में तुम्हे डालने की चेष्टा भी अपराध मानती हु मैं स्त्रीत्व का सम्मान करती हु,अपने प्रेम का भी, मै शनै शनै अपने प्रेम के साथ तुम्हारे जीवन से विरक्त होने का प्रयास करुंगी मुझे यदि तुम से सहज प्रेम न मिले तो दया का भाव मुझे अपमान प्रतीत होगा तुम मेरी एकल प्रसन्नता हो,मै तुम्हे आशुतोष को समर्पित कर,तुम से शीघ्र विदा लूंगी इस लिए नहीं की मै दूर जाना चाहती हु तुम से अपितु मेरी तुम्हारे समीप आने की सारी चेष्टाएं विफल रही, और तुम्हारी प्रसन्नता मेरे लिए मृत्युपरांत भी सर्वोपरि ही रहेगी सदैव सफल रहो,प्रसन्न रहो,उदित होते रहो मेरा मौन प्रेम और तुम्हारी स्मृतियां मेरे लिए पर्याप्त हैं अब इच्छाओं और आकांक्षाओं से विदा लेने का समय निकट प्रतीत होता हैं बाबा सदैव तुम्हारा कवच बने वो सब प्राप्त करो जिस की तुम्हे कामना हैं कदाचित मेरी इच्छाएं शेष ही रहेगी मैं अपने प्रेम में,साधना में लिप्त बाबा के चरणों की ओर प्रस्थान करुंगी सदैव प्रसन्न रहना.... ©ashita pandey बेबाक़ #makarsankranti Entrance examination 'लव स्टोरीज' लव शायरी हिंदी में