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जोड़कर हाँथ उसको मनाता रहा। सामने उसके मैं गिड़गिड

जोड़कर हाँथ उसको मनाता रहा। सामने उसके मैं गिड़गिड़ाता रहा । ।

फर्क पड़ता नहीं है उसे कोई अब । एहसास वो मुझे ये दिलाता रहा ।।

मेरे दिल को कुचल के गुजर वो गया। जिसकी राहों में दिल मैं बिछाता रहा । ।

जिसको दिल में बसाया खुदा मानकर । वो मेरे दिल में छूरी चलाता रहा ।।

मुझको लगता था वो बेवफा है मगर । गैरों से वो वफ़ाएं निभाता रहा ।।

माफ करता रहा वो खताएं मेरी । मुझपे दरियादिली वो दिखाता रहा ।।

©Surendra bhukal
  #Barsaat जिसको दिल में बसाया खुदा मानकर ।

#Barsaat जिसको दिल में बसाया खुदा मानकर । #कविता

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