कह ना सकी जो मैं दुनिया से वो किताबों के पन्नों में दफना दिया कोई तो ढूढों उन पन्नों को जिन्हे मैंने हंसते हंसते मिटा दिया बहुत शिद्दत से लिखा था मैंने एक एक अल्फाजो को लगाया था टीका भी नजर का दुनिया से बचाने को हिम्मत ना थी अब इतनी मुझमें उसे सहेज के रखने की जला दिए मैंने सारे कागज़ उम्मीद भी ना की बचने की इस क़दर मैंने अपना पूरा कर्तव्य निभा दिया सारे किताबों के पन्नों को मैंने जिंदा ही जला दिया ये बात सारी अनकही थी जिसे मैंने सुना दिया एक शायरी के अंदाज़ में मैंने लिखकर सब बता दिया कह ना सकी जो मैं दुनिया से वो किताबों के पन्नों में दफना दिया कोई तो ढूढों उन पन्नों को जिन्हे मैंने हंसते हंसते मिटा दिया #gif कुछ अनकही बातें...