मैं तेरी आँख का मोती, कभी भी बन नही पाया। तड़पती ही रही धरती, मगर सावन नही आया। ज़माने में मिले अबतक हज़ारो लोग हमे लेकिन, किसी का मन नही भाया। किसी का तन नही भाया..... # follow if you want to more