#OpenPoetry ख़्वाब .................................................................. इन आँखों से देखा है मैंने कच्चे रिश्तों को पकते हुए वो रिश्तें जो रूहानी होंगें लकड़ियाँ कहीं से मैं चुन लाऊंगा चूल्हा तुम जोड़ लेना आँच मोहब्बत की मैं लगा दूँगा स्नेह के तवे पर तुम सेंक लेना जो ख़्वाब सजाया है मैंने... ................Read in caption......................... #OpenPoetry इक ख्वाब सजाया है मैंने हक़ीक़त को उम्मीदों का दामन थमाया है मैंने थोड़ा सच है, थोड़ा फरेब तुम हो और इसमें मैं तुम्हारे करीब