शीर्षक -: आंसू खुशियां दुख दर्द भरे फिर ये पुराने वर्ष के जाने का गम कौन सुनाएगा ? की किस तरह से निकाला दिल का गम और आंखे रोई फूट फूट की शमशान में भी जगह ना रही और माएं बहने रोई टूट टूट कैसे भीषण कोरोना ने घर घर कहर मचाया था मौत का तांडव दुनिया भर में सन इक्कीस में जो आया था एक दिवाला था जिस घर का यह उसको भी मार गिराया था कई सरकारी नौकरी वाले शिक्षक तो कई डाक्टरों ने भी प्राण गंवाया था बचे नहीं बच्चे बूढ़े ना युवा गरीब दुखिया निर्धन कुटिया ने भी प्राण लुटाया था कोरोना सा काल जिसका भय घर घर समाया था चलो गया ओ दौर और अब वक्त ने करवट बदली है नई नई उम्मीदें कायम और मन ने भी हिम्मत रख ली है अब नया वर्ष आशीष हमे दे मंगल कामना चाहे हम यस मिले और हो गौरव वासी नई नई उम्मीदों वाला नव प्रभात का उदय नया हो दुनिया में ओ हर दीप बुझे नहीं जिनसे सम्मानित नाम बयां हो गया वर्ष ओ जाने वाला कई ऐतिहासिक कदम बढ़ाने वाला जिसने कोरोना काल में भी एक नया परिवर्तन दिखलाने वाला दीपक कुमार विश्वकर्मा फतेहपुर उत्तर प्रदेश Thought Writer dk sayar ✍️ ©D.K. Sayar Multiple articles पुराना वर्षा vs नया वर्ष #new_poetry #New_Year #कविता #Poetry #kavita #dk_sayar_multiple_articles #Luminance