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इतराता था कभी खुद पर,आज शर्मिन्दा सा हूं, पर कतरे

इतराता था कभी खुद पर,आज शर्मिन्दा सा हूं,
पर कतरे हुए हैं मेरे, फड़फड़ाता परिंदा सा हूं।
दुनिया के रिवाज कुछ इस तरह हावी हैं मुझपर,
मर चुका इंसान भीतर का,बाहर से जिंदा सा हूं।

-Keshav
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keshav4370665306361

keshav

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इतराता था कभी खुद पर,आज शर्मिन्दा सा हूं, पर कतरे हुए हैं मेरे, फड़फड़ाता परिंदा सा हूं। दुनिया के रिवाज कुछ इस तरह हावी हैं मुझपर, मर चुका इंसान भीतर का,बाहर से जिंदा सा हूं। -Keshav . . #Quotes #Life #lifequotes #hindishayari #parinda #best_poetry

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