ऐसा नहीं कि प्रेम के खिलाड़ी ही सिगरेट, पान मसाला चबाते है।न कि प्रेम पाश में बंधे ही शराब को हाथ लगाते है।प्रेम की शिद्दत में जो मर मिट टूट जाते है, वे है इंतजार में सदियों को बिताते है। Jagjit Singh जी के ग़ज़ल से प्रभावित : प्रेम में हारी लड़कियां, न सिगरेट फूंकती हैं, न शराब को हलक में उतरती हैं, और न ही चीख चीख कर अपनी सहेलियों से वक़्त और किस्मत को कोसती हैं, वो बस अपनी अर्ध-मृत काया पर