कहाँ गयी वो दिवारें जहाँ बंद थी अपनी ख्वाहिशें था इक जुनून कुछ करने का..... हो गई हैं गुम उन दीवारों में.. उन दीवारों की बेड़ियाँ फिर खोलनी है, कुछ हौसलों की कड़ियाँ फिर जोड़नी है, बोना है बीज इन बंजर जमीनों पर, मेहनत कर सींचना है उम्मीदों पर, अभी साथ नहीं है कोई मेरे सपनों पर, पर चींटी भी तो गिरती है जमीनों पर, क्यूँ छोड़ दूं अपने सपनों की दुनियाँ, गिरे हैं मरे नहीं सांसें अभी बाकि हैं, कुछ हासिल करने की ख्वाहिशें अभी बाकि हैं, कुछ र्दद अभी बाकि है सीने में....... अभी तो ख्वाहिशों पर उड़ना बाकि है..... -Smriti Gupta- #afterCorona#khwahisey#sapney#full of life