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पापा आपकी बेटी बड़ी हो गई गिर गिर करके मैं उठने ब

पापा आपकी बेटी बड़ी हो गई

गिर गिर करके मैं उठने बाली
चलते चलते मैं कापने बाली
आज हर मुश्किल पे खम्म हो गई 
पापा आपकी बेटी बड़ी हो गई

हर बात पे मैं चिल्लाने बाली
छोटी चोट से मैं रोने बाली
आज हरेक दर्द में खड़ी हो गई
पापा आपकी बेटी बड़ी हो गई

तेज आवाज से डर जानें बाली
मैं एक हाथ में तो जान लिए थी
एक मे मौत लिए  स्थम्म हो गई
पापा आपकी बेटी बड़ी हो गई

यह दुनियां के सारे रीति रिवाज
यह वे मतलब के यहां साज बाज
निभाने को बड़ी रस्म हो गई
पापा आपकी बेटी बड़ी हो गई

स्वरचित एवं मौलिक रचना-
 ज्योति गुर्जर "सेव्या"

©JS GURJAR
  #कविता #पापा #बेटी
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JS GURJAR

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कविता पापा बेटी

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