हे वीर जननी हे भारत मां, हमने फिर वीरो को खोया है। उन प्राणों को हरने से पहले, यम भी पल-पल रोया है।। उन वीरों की शहादत पर, सूरज भी तपिश को खोया होगा। बिखरे बदन देख धरा पर, गगन भी झुक कर रोया होगा।। धरा घूमना भूल गई, सुनकर दुखद कहानी को। हिन्द का बंदा रोक न पाया, गिरते नयनों से पानी को।। पानी सी निश्चल ममता वाली उस मैया पा क्या बीतेगी। हटा तिरंगा अपने सपूत का, आधा बदन जब देखेगी।। करवाचौथ की व्रती नारी वह, महीनों कुछ ना खाएगी। अपने अमर सुहाग का तन, टुकड़ों में जब पाएगी।। उस बाप का सब्र भी टूट गया, वह दुनिया से मुख मोड़ेगा। अपने चट्टान से बेटे का तन, कंकड़ कंकड़ जोड़ेगा।। तोतली जुबां के बेटे का मन तार-तार हो जाएगा। जब अंतिम अभिवादन के लिए, ना पैर पिता के पाएगा।। हे खादी वालो हे सत्ताधारी सेना के हाथो में जंजीर बताओ कब तक? तिरंगे में लिपट कर आते वीर बताओ कब तक? तुम नीति बदलो तुम रीति बदलो, हम क्रंदन को गीत में बदलेंगे। थोड़ी आज़ादी हमें भी देदो हर जंग को जीत में बदलेंगे।। उठो सपूतों हे वीर जवानों अपने मन की बात बता दो। इन पाक परस्तो इन गद्दारों को इनकी औकात बता दो।। शहादत!!! #kps #kps14