एक रात ऐसी भी आएगी जिसकी सुबह न हो पाएगी तमाम मुश्किलों को इस तरह खत्म कर ही जायेगी तमन्नाएं हो जाएगी उनकी पूरी जो मुद्दत से अधूरी है जरा मिलने दो हमें राख से उन्हें गुलाबो का शहर मिल जाएगा ता उम्र सब हसरतें मेरी अधूरी रही मेरे दुनिया छोड़ देने से, किसी को तो उसका मुकाम मिल जाएगा मुरझाए गुल अक्सर पैरो से कुचले जाते है खिले गुलाब को किसी के जुड़े में लगाया जाएगा ना लगाना मेरी तस्वीर को अपने घर की दर और दीवार पर जिसको मन का कोना न मिला, उसे दीवार पर क्या खाक मिल पाएगा ©Savita Nimesh #इक#रात#होगी#ऐसी#जिसकी#कोई#सुबह#नही #MereKhayaal