मैं एक ख़्वाब चाहता हूं अब सोना चाहता हूं सबसे दूर अंधेरों को चाहता हूं झूटे रिश्तें नातों से दूरी चाहता हूं अब सोना चाहता हूं हां थोड़ा लालची हो गया हूं अब अपना होना चाहता हूं अब सोना चाहता हूं तरस रहा हूं जाने कबसे सुकूं को अब जीभर रोना चाहता हूं अब बस सोना चाहता हूं जानें कबसे समेटें बैठा हूं अश्क़ों को अब इन्हें बहाना चाहता हूं अब सोना चाहता हूं काल से इक मुलाकात चाहता हूं अब सोना चाहता हूं #shayari #hindilines #2liners #hindiwriter #hindipoet #hindiwriting #alone #writing #kalakash #nojotowriting