अजीब सा माहौल है, कशमकश का फरोख़ है दर्द भरी दास्तां, लेकिन चलना ही रोज़ है।। खेलता हूं इस कदर, जैसे दिल में उठे बवंडर झेलता हूं इस कदर, जैसे हर राह समंदर।। हर मंज़िल की तलब है, हर प्यास बुझनी चाहिए हर जीत, जीत जाऊंगा, हमे मुस्किल देते जाइए।। लॉ जलाया है अंदर, ज्वाला बनाते जाऊंगा एक मुट्ठी खुशी के लिए, ज़िन्दगी खपाते जाऊंगा भर दूंगा आगोश में मेहनत का यू सिलसिला प्यास है हमे जीत की, जीत का रक्त पिते जाऊंगा। अब ढूंढना है खुद को इस भागदौड़ में, क्योंकी अजीब सा माहौल है, कशमकश का फरोख है दर्द भारी दास्तां , लेकिन चलना ही रोज़ है।। © कव्यप्रिंस writen for those who aiming something through about dream. follow our dreams #blackandwhite #Motivation #Did #Future