कोई ख़्वाब लिखूँ तस्वीर लिखूँ, अपने तक़दीर की ताबीर लिखूँ, आज फ़िर सोच रहा, अपनी ख्वाहिशों पे बंधी जंजीर लिखूँ। अपने किस्मत की आवाज लिखूँ, अपने अंदर की आग लिखूँ, आज फ़िर सोच रहा, अपनी जिंदगी का हीं सार लिखूँ। मौसम की छेड़ी धुन का साज़ लिखूँ, बहती हवाओं के गीत का राग लिखूँ, आज फ़िर सोच रहा, अपने दिल का हीं कोई राज़ लिखूँ। किसी ख़ास रिश्ते को आम लिखूँ, आँखों से छलकता वो ज़ाम लिखूँ, आज फ़िर सोच रहा, अपनी बेखुदी को सरेआम लिखूँ। बीते वक़्त के ज़ख्मों को आज लिखूँ, जो बुझ ना पायी धड़कन की वो आग लिखूँ, आज फ़िर सोच रहा, अपने कल के लिये नया आगाज़ लिखूँ। जज्बातों की बेईमानी लिखूँ, एहसासों की बात जुबानी लिखूँ, आज फ़िर सोच रहा, अपनी जिंदगी की एक नयी कहानी लिखूँ। ©️ ARSH क्या लिखूँ!