ये जिंदगी कुछ भी नहीं है...बस एक छलावा, कुछ नहीं यहाँ मोह, माया और द्वेष के अलावा, रहता नहीं है कोई इस धरा पे, पर छोड जाते हैं मित्र और शत्रु भावनाओ के मालवा। मालवा: debris Life above materialistic