आज जब मेरे चोट लगी तो दर्द का अहसास हुआ, दर्द हद से गुजर गया जब,बिल्कुल न बर्दास्त हुआ। दर्द को सहता रहा अंदर ही अंदर,आह न निकाली, देखकर खुदके जख्म गहरे,जख्म से नजरे हटाली। बार बार रह रहकर उठती रही खूब टीस जख्म से, बूंद बूंद धार बन बहता रहा रात भर लहू जख्म से। मैं भी एक मर्द हूं भला खुदके दर्द पर कैसे रो लेता, होता अपनों को दर्द नहीं तो मै भी नैन भिगो लेता। JP lodhi 21/08/2021 ©J P Lodhi. #meltingdown #jakhamedard #Nojotowriters #Nojotonews #NojotoFamily #Nojototeam #Poetry