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#OpenPoetry सिर्फ कड़वाहट भरी हैं मुझमे मिठास का दू

#OpenPoetry सिर्फ कड़वाहट भरी हैं मुझमे
मिठास का दूर तक नाम नही

ज़हर अगर तुम पी सकते नहीं
फ़िर मेरे साथ तुम जी सकते नहीं

जन्म से जहरीला नही था में
मेरा भी मिठाई से वास्ता था

मानवता के मधुर चौक से
मोहब्बत वाले घर का रास्ता था

अपनी प्रियतमा शांति से
मेरा अनूपम सुंदर नाता था

समय चक्र कुछ ऐसा बदला
उजड़ गया मेरा आशियाना

भर भर कर लौठे जहर के 
घर मे फेक रहा था जमाना

मर गयी शांति बेचारी
जल गया मेरा आशियाना

बचा हैं सिर्फ जहर ही मुझमे
मिठास का नामो निशान नही

नही पसन्द कड़वाहट जो तुम्हें
चले जाओ मुझसे दूर कहीं #mk007
#OpenPoetry सिर्फ कड़वाहट भरी हैं मुझमे
मिठास का दूर तक नाम नही

ज़हर अगर तुम पी सकते नहीं
फ़िर मेरे साथ तुम जी सकते नहीं

जन्म से जहरीला नही था में
मेरा भी मिठाई से वास्ता था

मानवता के मधुर चौक से
मोहब्बत वाले घर का रास्ता था

अपनी प्रियतमा शांति से
मेरा अनूपम सुंदर नाता था

समय चक्र कुछ ऐसा बदला
उजड़ गया मेरा आशियाना

भर भर कर लौठे जहर के 
घर मे फेक रहा था जमाना

मर गयी शांति बेचारी
जल गया मेरा आशियाना

बचा हैं सिर्फ जहर ही मुझमे
मिठास का नामो निशान नही

नही पसन्द कड़वाहट जो तुम्हें
चले जाओ मुझसे दूर कहीं #mk007