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हवा का नहीं लगता है कोई किराया!! /अनुशीर्षक/ हीर

हवा का नहीं लगता 
है कोई किराया!!

/अनुशीर्षक/ हीरे से भला है सोना क्योंकि उसको आता है पिघलना 
सोने से भली है चांदी के जानती है सब शीतल करना
चांदी से क्या भला है जब सोचा तो मन में आया तांबा
क्योंकि कहो तो हर तबके में इस्तेमाल होता है आया
पीतल कहूं या लोहा पूरा का पूरा उद्योग इन्होंने ढ़ोया
थोड़ा और सोचा जब तो मिट्टी में ही गढ़ी नींव को पाया
क्या है कीमत क्या कीमती नहीं कोई उसकी परिभाषा
परिदृश्य-परिवेश-परिधान-वश नहीं बुझती प्यास की क्रिया
हवा का नहीं लगता 
है कोई किराया!!

/अनुशीर्षक/ हीरे से भला है सोना क्योंकि उसको आता है पिघलना 
सोने से भली है चांदी के जानती है सब शीतल करना
चांदी से क्या भला है जब सोचा तो मन में आया तांबा
क्योंकि कहो तो हर तबके में इस्तेमाल होता है आया
पीतल कहूं या लोहा पूरा का पूरा उद्योग इन्होंने ढ़ोया
थोड़ा और सोचा जब तो मिट्टी में ही गढ़ी नींव को पाया
क्या है कीमत क्या कीमती नहीं कोई उसकी परिभाषा
परिदृश्य-परिवेश-परिधान-वश नहीं बुझती प्यास की क्रिया
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