#चिड़िया
एक चंचल-सी चिड़िया देखी,चोंच में भरकर तिनका लाती!
बिना रुके बस उड़ते देखी,अपने बच्चों के लिए घर बनाती!
ना धूप की मार ना बारिश का डर,वो नित देखी मैंने स्वपन सजाती!!
नित भोर भए उड़ जाती देखी,दिनचर्या में ना बदलाव लाती!
हर मौसम के थपेड़े सहकर,हमको वो जीना सिखलाती!
सुबह मधुर अपनी चहचाहट से,सूरज का स्वागत गीत गाती!
हालात चाहे जैसे भी हो,घबराना नही हमें सिखाती!! #Poetry