आज शाम जब मैंने चाय का प्याला हाथों में उठाया ।। तब तुम्हारी याद लौट आई फिर से इस चाय के मुहाने से , तभी मेरे दिल ने तुम्हें फिर से याद किया इस बहाने से ।। जैसे ही मैंने चाय के प्याले को होंठों से लगाया ।। तुम्हारे हाथों की उंगलियों को मेरे लबों पर जैसे मैंने , ठहरता पाया ।। इस चाय की मिठास के घुंट का अहसास मेरे अंदर ऐसे , उतर आया ।।