मन का विद्रोह ठहर नहीं पाता है, भय से मन सहम नहीं पाता है, बड़ी ही कठोर ये दुनिया है, कोई चलता है, कोई बस चलाया जाता है। प्रतिपल श्वास की गति का अनुमान नहीं लग पाता है, स्वप्न की शीला पर हर पल कठोर प्रहार हुआ जाता है, पग ठहर जाते जब है मानो कोई पड़ाव देख कर, तब इक नव संघर्ष तैयार हुआ जाता है, हर इक दिशा से प्रहार हुआ जाता है। #struggle #hindipoetry #kavita #kavyanjali #life