No Tobacco Day ये घुलता गया वो फूंकता गया और अकड़ता गया मानो अंदर अमृत गया जिसके भी साँस बनी तबीयत बरक़रार न रही लङ्गस नाराज दिखने लगा दम घुटने लगा मानो अंदर अमृत गया कैंसर दम्मा को मेहमान कर बनती हस्ती मिटने लगा रिस्तेदार छूटने लगे परेसानी बढ़ने लगा मानो अंदर अमृत गया क्यों करना हमे जिंदगी पर असर पैसे देकर खरीदते मौत दरसल आओ प्रण ले छोड़ के अभी से तब्बोको का सेवन हमेशा के लिये हर एक आओ करे निषेध ✍️bikram #No_Tobacco_Day Pankaj Brar Poetry Rahul Dahiya Rajpootana Dharmraj Singh Chauhan POOJA KASHYAP veer Nayak