आज खुली मेरे आंख तो सोचा सिर्फ तुझी को हैं। इस सनांटो से भरी रात में एक उम्मीद सिर्फ तुझी से है। यू तो कहने को कोई तू अपना नहीं पर पर अपनों की हर एक शिकायत तुझी से है। यूं तो तोड़ा हैं ए दिल मेरा हर किसी ने पर इसे फिर से जोड़ देने की आश सिर्फ तुझी से है। यूं तो में ओर तू गैर ही सही पर एक रिश्ता मुकम्मल तुझी से है। यूं तो करते हैं सब ही दिखावा पर इस दिखावे की दुनिया में एक गुमनाम कहानी सिर्फ तुझी से है। यू तो में रूठ ती हू तुम से पर यार मेरी मुस्कुराने की बझा सिर्फ तुझी से है । यूं तो कर लेती हू मै भी सब से मतलब से बात पर मेरे बिना मतलब की हर एक बात तुझी से है । ना चाहते हुए भी एक एहसास सिर्फ ओर सिर्फ तुझी से है।। सिर्फ तुझी से....