किसी रोज़ छॉंव की तलाश में किसी रोज छांव की तलाश में,भटकेंगी भावी पीढ़ी! आज कुछ लोग अपने स्वार्थ और नासमझी से बढ़े जा रहे हैं,सीढ़ी दर सीढ़ी आखरी वक्त एक पेड़ तो हमें भी चाहिए, यही सोचकर ही सही,कम से कम एक पेड़ तो लगाईये! माना कि कुछ नहीं मिला दुनिया से,पर अपने बच्चोंको सुकून की सांसे तो देकर जाईये!!!