हरे-हरे खेतों की हवा कहीं पर चिड़ियों की चहचह और कहीं कुओं पर खेतों को सींचते हुए किसानों का सुरीला गाना कहीं देवदार के पत्तों की सोंधी बास सबने मिलकर मेरी पीड़ा को दूर कर दिया... -चंद्रधर शर्मा गुलेरी ©VED PRAKASH 73 #जीवन_धारा