आने से उसके आये बहार जाने से उसके जाये बहार बड़ी मस्तानी है मेरी मेहबूबा मेरी जिन्दगानी है मेरी मेहबूबा) -२ गुनगुनाए ऐसे जैसे बजते हों घुँघरू कहीं पे आ के पर्वतो से जैसे गिरता हो झरना जमीं पे झरनों की मौज है वो मौजों की रवानी है मेरी मेहबूबा, मेहबूबा मेरी जिन्दगानी है मेरी मेहबूबा बन संवर के निकले आए सावन का जब जब महीना हर कोई ये समझे होगी वो कोई चंचल हसीना पूछो तो कौन है वो रुत ये सुहानी है मेरी मेहबूबा मेरी जिन्दगानी है मेरी मेहबूबा मेहबूबा बड़ी मस्तानी है मेरी मेहबूबा ©Jagdish kumar old song #safarnama