हवाओ में ओस के कतरो सा बिखर जाओ, सुनो न जाना! यू जो आये हो अब तो ठहर भी जाओ न । दिन में सफर थमता नहीं, रात कटता है तन्हाईयो में अपने ही सारे अब प्यार जताते हैं किस्तो में, अनजान हो जाने की चाह हैं अपने सारे रिस्ते से । सुनो न जाना! हाथ थामो और सुकून बन नसों में उतर जाओ न, यू जो आये हो अब तो ठहर भी जाओ न। मुझे अपने सपने की ओर जाने के लिए बड़ी कीमत चुकानी हैं, कल से फिर एक नई दौड़ लगानी हैं। मुझे फिर अपने जज्बातों को दबाना होगा, दोबारा अपने आप से मिलना होगा। इससे पहले की तुम भी होकर बेजार अपने घर जाओ इससे पहले की होकर बेजार तुम भी आने घर जाओ, सुनो न जाना! यू जो आये हो अब तो थोड़ी देर ठहर भी जाओ न ।। sakshi priya❣ #हवा #ओस #जज्बात #nojoto कृतिका 'प्रकृति'