कितने दूर निकल गये हम रिश्तों को निभाते निभाते,,, खुद को खो दिये हम अपनो को पाते पाते,, लोग कहते है हम मुस्कुराते हैं बहुत,, और हम थक गये दर्द छुपाते छुपाते मजबूरी