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जैसे जैसे हम बड़े हुऐ हम रोनाभी भूलते गये शायद

जैसे जैसे हम बड़े  हुऐ 
हम रोनाभी  भूलते  गये 
शायद इसीलिए  तुम्हारी इन 

हरी भरी  आँखों मे. 
ये थार के रेगिस्तान  बन गए 


देखो तो  हम कितने बड़े हो गए 
कि अब हम रोते भी नहीं 
अजी रोने क़ी छोड़ो 
हम तो अब हँसना भी भूल गए

©Arora PR
   रोना भूल गए
arorapr7519

Arora PR

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रोना भूल गए #कविता

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